Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -31-May-2022

नौकरी

नौकरी है, नौकरी ,ये नौकरी है ,नौकरी!
छोड़कर घर द्वार, नौकरी की खातिर आया हूँ
भूल गया मैं सब रिश्ते नाते,
के नौकरी मैं करने आया हूँ।

पढ़ाया जिन माँ-बाबा ने, आज उनसे पराया हो गया
नौकरी की खातिर ,उनको छोड़ आ गया
ये नौकरी ने यारो क्या, जुल्म है किया?
किया विघटन परिवार का, एकाकी बना दिया।

चंद पैसों का खेल नहीं ,ये आजीविका है हमारी
इसी पर टिकी की है, भविष्य की गाड़ी 
कैसे न हो ? नौकरी की चिंता हर किसी को यारो
यह तो रोजी-रोटी है हमारी।

नौकरी है, ये इसको बेकार न समझो
यही तो समाज में है, हमारा मान बढ़ाती है
करता है मालिक अपमान, तो अपमान न समझो
अपनी गलती का अहसास जो कराता, वह इंसान है समझो!

नौकरी है ,नौकरी ,ये नौकरी है ,नौकरी!
है ,नौकर यदि तुम तो मालिक कोई है!
तुम भी मालिक किसी के तो नौकर कोई है!
दोंनो के सामंजस्य से ही, चलती है नौकरी
दोनों की महनत से ही ,फल फूलती है नौकरी

नौकरी है,नौकरी ,ये नौकरी है ,नौकरी!

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

   10
9 Comments

Shrishti pandey

01-Jun-2022 08:47 PM

Nice

Reply

Punam verma

01-Jun-2022 09:04 AM

Nice

Reply

Abhinav ji

01-Jun-2022 08:26 AM

Nice👍

Reply